लेखनी कहानी -30-Nov-2022... आईना...
बावन वर्षिय रमेश ने बिस्तर पर सोते सोते करवट ली ओर अपने पास में सो रहीं अपनी पत्नी स्मिता से कहा :- उठो... चाय बना लाओ...। पांच बज गए हैं...।
लेकिन जब कुछ मिनटों बाद भी स्मिता नहीं उठी तो उन्होंने फिर थोड़ा चीखते हुवे कहा :- उठो.... चाय बनाओ...।
लेकिन स्मिता के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई..। ऐसा कभी नहीं हुआ था इसलिए अब रमेश थोड़ा घबरा गया और उसने तुरंत कमरे की लाइट ओन की ओर उठकर स्मिता के चेहरे से कंबल हटाकर देखा तो उसका शरीर निठाल पड़ा था...। उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी.. । ना जाने रात ही रात में क्या हो गया था..।
अचानक स्मिता के इस तरह दुनिया से चले जाना असहनीय था..। धीरे धीरे आस पड़ोस में खबर फैली और स्मिता का अंतिम संस्कार किया गया....।
स्मिता को एक ही बेटा था जो विदेश में रहता था...। माँ की खबर सुन वो आ गया था...। पढा़ई के लिए गया हुआ बेटा विदेश में ही बस गया था...। हफ्ते भर बाद बेटा वापस जाने की तैयारी कर रहा था...। उसने अपने पिता को भी साथ चलने को कहा...।
रमेश तैयार भी हो गया... सामान पैक करते वक्त स्मिता की एक फोटो को जब वो बैग में डाल रहे थे तो उनके सामने स्मिता की यादें तरोताजा हो गई....।
उन्हें आज स्मिता की हर अच्छाई याद आ रहीं थीं.... जो उसके जीते जी कभी नजर नहीं आई थीं..। हर काम में स्मिता की बुराई करना.. सबके सामने उसका मजाक बनाना... हर बात में टोकना... पूरी जिंदगी ये ही तो किया था रमेश ने..।
स्मिता बिना किसी शिकन के, बिना किसी नाराजगी के बिना किसी शिकायत के अपने आप में गुनगुनाते हुवे हर काम पूरी लगन से करतीं रहतीं थीं...।
लेकिन रमेश ने कभी उसके लिए दो शब्द तारीफ के नही कहें थे...। वो हर वक़्त सिर्फ उसका मजाक बनाया करता था...।हमेशा शांति से अपना काम करने वाली स्मिता रमेश के ऐसे व्यवहार से भी कभी अशांत नहीं हुई थीं...।
आज उसके चले जाने पर रमेश को अपनी हर गलती का अहसास हो रहा था...। आज वो मन ही मन खुद से कह रहे थे... काश उन्होंने वक्त रहते स्मिता की कदर की होती... काश समय रहते कभी उसकी तारीफ़ की होती.. काश ये आइना उन्हें पहले दिख गया होता... काश....अब सिर्फ काश ही रह गया था... अब सिवाय पछतावे के उनके पास कुछ नहीं रह गया था...।
आंसुओं से भीगी पलकों से उन्होंने फोटो को अपने सीने से लगाया और कहा :- तुम मुझे ऐसे छोड़कर क्यूँ चली गई स्मिता... मैं तुम्हारे बिना कैसे रह पाऊंगा.. मुझे माफ कर दो... अब मैं तुम्हें कभी नहीं टोकूंगा... कभी तुम्हारा मजाक नही बनाऊंगा... आइ लव यू स्मिता.. प्लीज वापस लौट आओ...।
तभी किसी ने उनकी पीठ को झकझोरा और कहा :- उठिए...आपकी चाय...।
रमेश की आंख खुली और स्मिता को सामने देख वो कुछ पल के लिए तो कुछ समझ ही नहीं पाए.... फिर उन्हें याद आया की वो सपना देख रहें थे..।
लेकिन ये सपना रमेश की आंखें खोल गया था...। ये सपना रमेश को आइना दिखा गया था....।
रमेश ने स्मिता के हाथों से चाय का कप लेकर पास में रखा और स्मिता का हाथ पकड़ कर वो कहा जो आज तक उसने कभी नहीं कहा था :- आइ लव यू स्मिता...।
Pratikhya Priyadarshini
30-Nov-2022 09:11 PM
Shandar 🌸👍💐
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Vedshree
30-Nov-2022 08:13 PM
Behtarin rachana
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shweta soni
30-Nov-2022 10:55 AM
बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌
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